मध्यप्रदेश में उपचुनाव से पहले OBC आरक्षण पर राजनीति शुरू-पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लिखा पत्र
www.newsjobmp.com--मध्यप्रदेश में बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण अब राजनीति शुरू हो गई है
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर 27% आरक्षण को लागू करवाने की बात कही है
कमलनाथ ने अपने पत्र में लिखा
प्रिय श्री शिवराज सिंह चौहान जी , आपको विदित है कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 86 प्रतिशत है एवं अकेले अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 53 प्रतिशत है । मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सरकार ने अनुसूचित जाति / जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की तरक्की और उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये अनेक कार्य किये थे । इसी क्रम में कांग्रेस सरकार ने मध्य प्रदेश लोक सेवा ( अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिये आरक्षण ) अधिनियम में वर्ष 2019 में संशोधन कर पिछड़ा वर्ग के लिये शासकीय सेवाओं में आरक्षण का प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया था । साथ ही साक्षात्कार एवं पदोन्नति समितियों में भी अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधि को रखना आवश्यक किया था । मध्य प्रदेश लोक सेवा संशोधन अधिनियम 2019 से प्रदत्त आरक्षण के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय में विभिन्न याचिकाएं दायर की गई जो कि विचाराधीन है एवं निकट भविष्य में इनकी सुनवाई होना संभावित है । इन याचिकाओं में मुख्यत : आरक्षण के कुल प्रतिशत को आधार बनाया गया है । जबकि भारत के संविधान के किसी भी अनुच्छेद में आरक्षण की कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है । इसलिए प्रतिनिधित्व के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग को अधिक आरक्षण दिया जाना पूर्णत : संवैधानिक है । माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन इन याचिकाओं में शासन की ओर से समुचित एवं प्रभावी पक्ष समर्थन किया जाना अत्यंत आवश्यक है ताकि पिछड़े वर्ग को इस बढ़े हुए आरक्षण का समुचित लाभ मिल सके । अत : मेरा आपसे अनुरोध है कि प्रदेश में अन्य पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए बढ़े हुए आरक्षण की व्यवस्था सुचारू रूप से लागू हो इस हेतु माननीय उच्च न्यायालय में शासन की ओर से अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में मजबूती से प्रभावी पैरवी कराना सुनिश्चित करावें । शुभकामनाओं सहित ,
आपका ( कमल नाथ )
मध्यप्रदेश में लंबे समय से ओबीसी आरक्षण के नाम पर तमाम भर्ती प्रक्रिया अटकी है आरक्षण को लेकर न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की
न्यायालय ने फिलहाल 27% आरक्षण पर रोक लगा रखी है पीएससी प्री का रिजल्ट इसी के कारण अटका हुआ है
वहीं मध्यप्रदेश शिक्षक भर्ती में कोर्ट के निर्णय के पहले हैं 27% आरक्षण लागू कर दिया गया है इससे शिक्षक भर्ती पर भी संशय की स्थिति बनी हुई है
यदि न्यायालय द्वारा 27% आरक्षण को अमान्य किया जाता है तो शिक्षक भर्ती चयन प्रक्रिया को भी पुनः नए तरीके से करानी होगी
प्रदेश के युवाओं का कहना है कि सभी पार्टियां आरक्षण के नाम पर राजनीति कर रही है यदि कमलनाथ सरकार के लिए ओबीसी आरक्षण लागू करवाना था तो न्यायालय के समक्ष जब सरकार में थे तब अपना पक्ष मजबूती से क्यों नहीं रखा,
ग्वालियर के प्रमोद पटेल का कहना है "नहीं 27% आरक्षण मिला और ना ही कोई भर्ती निकली, आरक्षण ना मिले लेकिन भर्ती तो निकाले सरकार"|
English translate by Google
www.newsjobmp.com - Increased OBC reservation in Madhya Pradesh, now politics has started
Former Chief Minister Kamal Nath has written a letter to the current Chief Minister Shivraj Singh Chauhan to implement 27% reservation.
Kamal Nath wrote in his letter
Dear Mr. Shivraj Singh Chauhan, you are aware that the population of Scheduled Castes, Scheduled Tribes and Other Backward Classes in Madhya Pradesh is about 86 percent of the total population of the state and 53 percent of the population of Other Backward Classes alone. After the formation of Congress government in Madhya Pradesh, the government had done many things to promote the progress of Scheduled Castes / Tribes and Other Backward Classes and to connect them with the mainstream of society. In the same sequence, the Congress government had amended the Madhya Pradesh Public Service (Reservation for Scheduled Castes, Scheduled Tribes and Other Backward Classes) Act in the year 2019, to increase the percentage of reservation in government services for backward classes from 14 to 27 percent. Also, it was necessary to have representatives of other backward classes in interview and promotion committees. Various petitions were filed in the Hon'ble High Court against the reservation provided by Madhya Pradesh Public Service Amendment Act 2019 which is under consideration and is likely to be heard in the near future. These petitions mainly form the basis for the total percentage of reservation. While there is no maximum limit of reservation in any Article of the Constitution of India. Therefore, giving more reservation to other backward classes on the basis of representation is completely constitutional. In these petitions under consideration before the Hon'ble High Court, it is very important to support the appropriate and effective party from the government so that the backward classes get the proper benefit of this increased reservation. Therefore, I request you that the system of increased reservation for the welfare of other backward classes in the state should be implemented smoothly, so that the Honorable High Court should ensure effective effective advocacy in favor of other backward classes on behalf of the government. with best wishes ,
Yours (Kamal Nath)
In Madhya Pradesh, the recruitment process has been stuck in the name of OBC reservation for a long time, many petitions have been filed in the court regarding reservation.
The court has put a moratorium on 27% reservation. The result of PSC Pre is stuck due to this.
At the same time, 27% reservation has been implemented in Madhya Pradesh teacher recruitment before the court's decision. Due to this, there is a doubt on teacher recruitment.
If the 27% reservation is invalidated by the court, then the teacher recruitment selection process will also have to be revived.
The youth of the state say that all parties are doing politics in the name of reservation. If OBC reservation was to be implemented for the Kamal Nath government, then why not put your side firmly before the court when they were in government,
Pramod Patel of Gwalior says, "No 27% reservation received nor no recruitment was not given, but no government should get the recruitment".